Rajsthan jeela drsan bhilwara राजस्थान के अंदर भीलवाडा जिला के महत्व पूर्ण तथ्य के बारे मे जाने, राजस्थान के इतिहास मे महत्व पूर्ण भूमिका निभाने वाला जिला भीलवाड़ा जिनके बारे मे आज सम्पूर्ण जानकारी देखने वाले है, तो अभियार्थी पूरी जानकारी देखे। Rajsthan jeela drsan bhilwaraऔर समजे ।
राजस्थान जिला दर्शन भीलवाड़ा Rajsthan jeela drsan bhilwara
राजस्थान का मैनचेस्टर, क्यों राजस्थान की टेक्सटाइल सीटी, अभ्रक नगरी आदि नामों से प्रसिद्ध पाषाण कालीन सभ्यताओं के पूरा स्थलों यथा बागोर किताब अलग हो जाना उड़ा आदि भीलवाड़ा जिला राजस्थान की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता है योग स्तंभ वैदिक आर्यों द्वारा संपन्न किए जाने वाले धार्मिक कार्यों का साक्षी है तो बागोर मध्य पाषाण कालीन लघु पाषाण उपकरणों की अमूल्य निधि को अपने में समेटे हुए यह सभी स्थल भीलवाड़ा क्षेत्र की प्राचीनता का एहसास कराते हैं
मध्यकाल में यह क्षेत्र मेवाड़ रियासत के अधीन था जो बाद में शाहपुरा की स्वतंत्र रियासत के रूप में गठित हुआ इस काल मैं जहां अनेक भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ शाहपुरा में संप्रदाय की शाखा सम स्नेही संप्रदाय की प्रधान पीठ है तथा आसींद में खारी नदी के तट पर लगभग 11 शो वर्ष पुराना देवनारायण मंदिर हैभीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ में मेवाड़ महाराणा संग्राम सिंह की समाधि है
मराठों के विरुद्ध राजपूताने के साथ सको संगठित करने हेतु पूर्णा स्थान पर उनका सम्मेलन हुआ था हुरडा भीलवाड़ा जिले में ही है ब्रिटिश शासन के दौरान देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भीलवाड़ा के स्वतंत्रता सेनानियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
Rajsthan jeela drsan bhilwara राजस्थान का सम्पूर्ण इतिहास
भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा के श्री केसरी सिंह भारत एवं उनके समस्त परिवार जनों ने देश को स्वतंत्र कराने हेतु अपना जीवन न्योछावर कर दिया राज्य के पहले सफल व संगठित किसान आंदोलन बिजोलिया किसान आंदोलन की शुरुआत भी इसी जिले के बिजोलिया ग्राम से हुई थी
देश के स्वतंत्र होने के बाद राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया में मेवाड़ एवं शाहपुरा रियासत के संयुक्त राजस्थान में विलय के बाद 1949 में एक स्वतंत्र जिले के रूप में गठित भीलवाड़ा जिले को राज्य की टेक्सटाइल सिटी राजस्थान का मैनचेस्टर अभ्रक नगरी भी कहा जाता है फड़ चित्रण के लिए शाहपुरा विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
यहां के कुछ चित्र चांदी की कलात्मक वस्तुओं पर मनोहारी चित्रकारी करने में सिद्धहस्त है भीलवाड़ा में रेलवे की मेमू कोच फैक्ट्री का शिलान्यास अभी हाल ही में हो गया है
भीलवाड़ा जिले का कुल क्षेत्रफल 10455 वर्ग किलोमीटर है
भीलवाड़ा जिले के पश्चिम में राजसमंद दक्षिण में चित्तौड़गढ़ पूर्व में बूंदी उत्तर में अजमेर व उत्तर पूर्व में टोंक जिले की सीमा लगती है
भीलवाड़ा जिले की मुख्य नदियां Rajsthan jeela drsan bhilwara
- बनास, बेड़ा कोठारी मानसी खारी व मेनाल यहां की मुख्य नदियां हैं
- मेजा बांध जहां का मुख्य बांध है मेनाल जलप्रपात भीलवाड़ा जिले में ही स्थित है
भीलवाड़ा जिले में लगने वाले प्रमुख मेले Rajsthan jeela drsan bhilwara
- फूलडोल का मेला, त्रिवेणी मेला, धनोप माता का मेला सवाई भोज का मेला तिलस्वा महादेव मेला
भीलवाड़ा जिले के प्रमुख मंदिर
Rajsthan jeela drsan bhilwara शाहपुरा का राम प्रसाद का मंदिर सवाई भोज मंदिर हरणी महादेव का मंदिर तिलस्वा मंदिर धनोप माता का मंदिर बाईसा महारानी का मंदिर व गंगाबाई की छतरी मंदाकिनी मंदिर गाडौल महादेव मंदिर देवल तलाई के देवनारायण बागोर गुरुद्वारा
भीलवाड़ा जिले के पर्यटन स्थल Rajsthan jeela drsan bhilwara
मांडल:-
- इस कस्बे में प्राचीन प्रसिद्ध स्तंभ मंदिरा जगन्नाथ कछवाहा की 32 खंभों की छतरी एवं कोठारी नदी पर बना मेजा बांध प्रमुख पर्यटन स्थल है यहां होली के 13 दिन पश्चात रंग तेरस पर नाहर नृत्य का आयोजन किया जाता है
बिजोलिया:-
अन्य सरकारी नोकरी के बारे मे जानकारी
- स्वतंत्रता पूर्व के देश के पहले संगठित किसान आंदोलन के लिए प्रसिद्ध बिजोलिया कस्बे के प्राचीन मंदाकिनी मंदिर एवं बावरिया है
शाहपुरा Rajsthan jeela drsan bhilwara
- सम स्नेही संप्रदाय की प्रमुख पीठ रामद्वारा यही स्थित है यही प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी केसरी सिंह भारत एवं प्रताप सिंह भारत की हवेली एक स्मारक के रूप में संक्षिप्त है
- Rajsthan jeela drsan bhilwara परकोटे के द्वारा पर केसरी सिंह भारत उनके बेटा जोरावर सिंह भारत एवं उनके पुत्र प्रताप सिंह की मूर्ति लगी है यह कस्बा फड़ चित्र के लिए प्रसिद्ध है राज्य की प्रथम लोकतांत्रिक सरकार का गठन शाहपुरा रियासत में ही किया गया था 23 दिसंबर को प्रतिवर्ष यहां शहीद मेला लगता है यहां होली के दूसरे दिन फूलडोल मेला आयोजन होता है
मेनाल:-
- चित्तौड़गढ़ बूंदी मार्ग पर मांडलगढ़ कस्बे के निकट स्थित यह स्थान नीलकंठेश्वर महादेव के लिए प्रसिद्ध है यहां एक बारहमासी झरना भी बहता है तथा मेनाल नदी पर मेनाल जलप्रपात स्थित है यहां से कुछ दूर बीगोद के निकट तीन नदियों बनास बेड़च व मेनाल का त्रिवेणी संगम है
बारह देवरा जहाजपुर:-
- जहाजपुर कस्बे में स्थित इस तीर्थ स्थल में 12 लघु दे वाले बने हुए हैं जो 12वीं शताब्दी की स्थापत्य कला के परिचायक है
लव गार्डन:-
- भीलवाड़ा के इस पार्क का निर्माण वर्ष 1986 में प्रारंभ हुआ और 3 वर्ष बाद 15 अगस्त 1990 को यह आम जनता के लिए खोल दिया गया
अन्य पर्यटन स्थल Rajsthan jeela drsan bhilwara
चमन बावड़ी :-
- शाहपुरा में स्थित भव्य और विशाल तिमंजिली बावड़ी जिसका निर्माण विक्रम संवत 1800 महाराजा उम्मेद सिंह प्रथम के जमुना नामक गणिका की इच्छा पर करवाया गया थ
सीताराम जी की बावड़ी Rajsthan jeela drsan bhilwara
- भीलवाड़ा में स्थित इस बावड़ी में एक गुफा बनी हुई है जिसमें बैठकर रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्तक स्वामी रामचरण जी ने 36000 पदों की रचना की तथा रामस्नेही संप्रदाय की स्थापना की
32 खंभों वाली छतरी मांडलगढ़ :-
- यह छतरी ओमेर के जगन्नाथ कछुआ की मूर्ति में शाहजहां द्वारा निर्मित है जगन्नाथ कछवाहा का मांडल में मेवाड़ सेना के विरुद्ध युद्ध में निधन हो गया था
- मांडलगढ़ दुर्ग अमरगढ़ की छतरी बनेड़ा एवं बदनोर के महल मग रोग एवं अहीर गढ़ का दुर्ग मांडलगढ़ में कुंडेश्वर महादेव का मंदिर नाद सा के योग स्तंभ भाई राज की बावड़ी आदि
महत्वपूर्ण तथ्य भीलवाड़ा नगर में शाहपुरा रियासत की टकसाल थी जिसके सिक्के बिलारी कहलाते थे
- भोडल कि छपाई:- भीलवाड़ा के चीते अभ्रक सफाई का कार्य करते हैं जो मॉडल की छपाई कहलाती है उनके बुंटीया दुर से ही चमकती है
- आगी गैर नृत्य- भीलवाड़ा के गैर मृतक पांव में लंबा जमा पहनते हैं इस कारण यहां का गेर नृत्य आंगी गेर नृत्य कहलाता है
- भीलवाड़ा का मांच का ख्याल प्रसिद्ध है भीलवाड़ा के बक्सर लाल खमेसरा को माच खयाल का जनक कहा जाता है
- भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ में नारों का सावंग बहुत प्रसिद्ध है
- भीलवाड़ा के जानकीलाल बहुरूपिया कला के अंतर्राष्ट्रीय कलाकार रहे थे
साथियो आज हमने राजस्थान के जिला दरसन में भीलवाड़ा जिले का विस्तार से विवरण किया था जो जानकारी पढ़ने के बाद आपको अच्छा लगा होंगे और इसी प्रकार से हमने आपके के लिए ऐसे ही आर्टिकल के माध्यम से आप तक राजस्थान का सम्पूर्ण जिले दरसनो को पड़ने वाले है